व्यापार बनाम शिक्षा

व्यापार बनाम शिक्षा


साल – 2022
शहर – दिल्ली एनसीआर
ये कहानी एक मध्यम वर्गीय परिवार की है। कहानी का नायक है रोहित और नायिका है शिखा, दोनो ही उमर के उस पड़ाव पर हैं जहां सपने थोड़े से सतरंगी होते हैं। जी हां दोनो ने देश के अच्छे शिक्षा संस्थानों से बहुत सारी डिग्रियां रात दिन मेहनत करके (सॉरी किताबों को घोट घोट कर) प्राप्त की हैं और अब दोनो ही गुड़गांव की बड़ी बड़ी इमारतों में 12 से 14 घंटों की जीतोड़ मेहनत करके अपनी जिंदगी को आसान बना रहे हैं, मेरा मतलब है दोनो गुरुग्राम में मल्टी नेशनल कंपनियों में अच्छी पोस्ट पर कार्यरत हैं।
पांच दिन कोल्हू के बैल या गाय, जो भी आप समझें, की तरह काम करने के बाद दोनो सैटरडे और संडे को चिल्ल करना अपना परम धर्म समझते हैं।
हां...... सही समझे आप..... दोनो ही दोस्तों के साथ किसी डिस्को या नाइट क्लब में जम कर पार्टी करते हैं, मस्ती करते हैं।
ऐसी ही एक पार्टी में दोनो आपस में टकरा गए, और फिर टकीला के कुछ शॉट्स के बाद दोनो के अंदर से एक आवाज आई.....
हम बने तुम बने एक दूजे के लिए..... जी सही पहचाना दोनो को लव एट फर्स्ट साइट हो गया।
और क्यूंकि ये जेट एज का जमाना है तो 4/5 डेट के बाद ही दोनो को समझ आ गया वो दोनो दो जिस्म एक जान हैं  और उन्हें जल्दी से शादी के बंधन में बंध जाना चाहिए।
क्यूंकि दोनो मध्यमवर्गीय पढ़े लिखे और आजाद ख्याल परिवार से आते हैं तो दोनो परिवारों ने भी उनके रिश्ते पर अपनी सहमति को मोहर लगा दी।
फिर एक मध्यवर्गीय भव्य समारोह में दोनो का विवाह, सभी दूर पास के रिश्तेदारों के समक्ष कर दिया गया।
"And then they (never) happily lived after"
अब आप जरूर पूछोगे, ऐसा क्यूं?? है ना.....
तो मेरे प्यारे दोस्तों, शादी होते ही सारे सुख सुकून हवा हो जाते है..... और पीछे छोड़ जाते हैं ढेर सारी नई जिम्मेदारियां.....
खास कर तब जब दोनो में से एक साथी समझदार हो यानी दुनिया दार हो। और यहां तो दोनो ही खूब समझदार, दुनियादार और पढ़े लिखे थे।
सबसे पहली जद्दोजहद शुरू होती है एक खूबसूरत मकान या फ्लैट बनाने की, यानी एक बंगला बने न्यारा, और फिर उसे सजाने की। तो भाई किसी भी महानगर या छोटे या बड़े शहर में घर खरीदना है तो एक सुखद विचार पर उसको यथार्थ बनाना यानी कुछ एक या दो करोड़ का खर्चा।
हां तो इसमें क्या बड़ी बात है, बहुत सी फाइनेंस कंपनियां और बैंक हैं ना जो आसान शर्तों पर 20/25 साल के लिए आपको कर्जा दे देंगे और बदले में बस आपको अपनी कमाई का एक तिहाई हिस्सा उन्हें हर महीने किस्त के रूप में चुकाते रहना होगा।
तो चलो भाई एक सुंदर सी सोसाइटी में एक 2 या 3 बेडरूम का फ्लैट हो गया अपना।
अब आता है जीवन का अगला बड़ा फैसला यानी गृहस्थी बसाना यानी जीवन में बाल गोपाल का आना।
बच्चे या बच्चों के आते ही घर गुलजार हो जाता है, घर में रौनक आ जाती है, खुशियां किलकारियां मारने लगती हैं और साथ साथ आती हैं जिम्मेदारियां।
जी हां जिम्मेदारियां उन्हें संभालने की, अच्छी शिक्षा देने की ताकि वो जीवन में तरक्की करें और देश के अच्छे नागरिक बन सकें।
हरेक माता पिता चाहते हैं कि उनकी संतान को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिले। और अच्छी शिक्षा के लिए सबसे पहले जरूरी है एक अच्छा स्कूल।
बस यहीं से शुरुआत होती है शिक्षा में व्यापार की, अच्छे स्कूल में दाखिला मिलना मुश्किल है क्योंकि अच्छे स्कूल कम हैं और उनमें दाखिला लेने के लिए बच्चो की तादाद बहुत अधिक।
उस पर हर अच्छे स्कूल की फीस आसमान छूती है।
उदाहरण के तौर पर दिल्ली में कुछ प्ले स्कूल की फीस ही करीब 5 से 10 हजार रुपए महीना है उस पर दाखिला देते वक्त न जाने कितनी तरह के फंड के नाम पर अभिभावकों से 50 हजार से 1.00 लाख तक सालाना भुगतान लिया जाता है।
उधर कुछ बड़े स्कूलों की फीस तो इतनी है कि सुन कर ही  अच्छे अच्छे लोगों को पसीने छूट जाए। यकीन मानिए दिल्ली के कुछ स्कूलों में सालाना 3 लाख से 5 लाख तक फीस वसूली जाती है।
यही नहीं एडमिशन के समय बहुत से स्कूल हजारों की तादाद में दाखिला फार्म बेच कर 500 से 5000 तक प्रति फार्म के हिसाब से ही लाखों रुपए कमाते हैं।
और सुना है कुछ स्कूल अपने बड़े नाम का फायदा उठा कर लाखों रुपए डोनेशन या फिर दूसरे फंड के नाम से बटोर लेते हैं।
लूट का ये सिलसिला यहीं पर नहीं रुकता बल्कि सभी स्कूल अभिभावकों को पढ़ाई में इस्तेमाल आने वाली हरेक चीज जैसे किताबें, कॉपियां, ड्रेस इत्यादि उन्ही से लेने पर मजबूर करते हैं।
हर साल नए पब्लिशर की किताबें स्कूल में लगवाई जाती हैं ताकि हर साल बच्चो को नई किताबें ही खरीदनी पड़े।
ये तो बात हुई स्कूल की, अब दूसरी तरफ देखिए बच्चो से अभिभावक ये उम्मीद करते हैं उनका बच्चा सबसे ज्यादा नंबर लाए और इस होड़ में बच्चो को ट्यूशन क्लास और कोचिंग सेंटर की शरण में डाल दिया जाता है।
हर कोई चाहता है की उनका बच्चा IIT या मेडिकल कॉलेज में पढ़े, इसके लिए आज कल ऑनलाइन और ऑफलाइन कोचिंग के नए नए व्यवसाय शुरू हो चुके हैं जो 8वी या 9वी क्लास से ही बच्चो को ट्रेनिंग देने का दावा करते हैं और बदले में लाखों रुपए की फीस अभिभावकों से ऐंठते हैं।
हर साल अखबारों में और टीवी पर करोड़ों रुपए खर्च करके ये सब कोचिंग इंस्टीट्यूट बड़े बड़े विज्ञापन देते हैं ताकि बहुत से अभिभावक उनके लुभावने विज्ञापनों से प्रभावित होकर अपने बच्चों को वहां दाखिला दिलवाएं। कोटा का नाम इस क्षेत्र में बड़ी तेजी से उभरा है।
शिक्षा का कारोबार यहीं नहीं थमता, हजारों इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, मैनजमेंट और बहुत से अन्य कॉलेज का जाल देश भर में फैला है जिसमे लाखों छात्रों को हर साल भारी भरकम कैपिटेशन फीस देकर दाखिला दिया जाता है। अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में जहां ये फीस 15 से 25 लाख रुपए होती है वहीं मेडिकल कॉलेज में ये फीस 50 से 75 लाख रुपए हो सकती है।
यही नहीं सालाना फीस भी 5 से 10 लाख हो सकती है।
दुख की बात ये भी है कि ज्यादातर कॉलेज से पढ़ कर पास करके निकले हुए ज्यादातर छात्रों की ज्ञान क्षमता अत्यधिक कम होती है और अधिकतर छात्रों में मूलभूत ज्ञान की भी कमी पाई गई।
इसका सीधा अर्थ ये है की हर साल पास होने वाले लाखों छात्रों में से 10% से भी कम छात्र अपने ही क्षेत्र में रोजगार पाने लायक नहीं होते।
ये कैसी विडंबना है लाखों रुपए खर्च कर के हासिल किए गए सर्टिफिकेट कुछ हजार की नौकरी के भी लायक नहीं होते।
ये भी पाया गया है कि बहुत से कॉलेज में मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं होती और वहां से छात्रों को कुछ और लाख रुपए खर्च करके सिर्फ एक कागजी डिग्री प्रदान कर दी जाती है।
कुछ नियमों में बदलाव किया जा रहा है ताकि शिक्षा को सार्थक और काबिलियत के आधार पर आधारित किया जाए।
वर्तमान सरकार इस दिशा में कार्यरत है और स्कूलों से ही बच्चों को सिर्फ किताबी ही नहीं कुछ तकनीकी ज्ञान देने के ध्येय से शिक्षा नीति बदल रही है, परंतु इसमें बदलाव आने में अभी कुछ और समय लगेगा।
उम्मीद है आने वाला कल अधिक सार्थक और अच्छी शिक्षा नीति से छात्रों का भविष्य उज्जवल बनाएगा।
पर तब तक रोहित और शिखा जैसे लाखों दंपति अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई अपने बच्चों को होनहार बनाने की उम्मीद में खर्च करते रहेंगे।

इति श्री........
आभार – नवीन पहल – २८.०२.२०२२ 🌹👍❤️❤️

# वार्षिक कहानी प्रतियोगिता हेतु

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1 Comments

Seema Priyadarshini sahay

02-Mar-2022 04:41 PM

वाह सर बहुत ही अच्छा लिखते हैं आप

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